SONU NIGAM

Fiza Lyrics

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SONU NIGAM
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SONU NIGAM - Fiza lyrics

फ़िज़ा...
हे फ़िज़ा... तू हवा है फ़िज़ा है ज़मीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यों बरसती नहीं
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ मेरे आशियाने में आ मैं हवा हूँ कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैं तिनके उठाये हैं मेरे परों पर
आशियाना नहीं है मेरा घने एक पेड़ से मुझे झोंका कोई लेके आया हैSONU NIGAM - Fiza - http://motolyrics.com/sonu-nigam/fiza-lyrics.html
सूखे इक पत्ते की तरह हवा ने हर तरफ़ उड़ाया है आ न आ
हे आ न आ इक दफ़ा
इस ज़मीन से उठें
पाँव रखें हवा पर ज़रा सा उड़ें चल चलें हम जहाँ कोई रस्ता न हो कोई रहता न हो कोई बसता नो हो कहते हैं आँखों में मिलती है ऐसी जगह फ़िज़ा... तुम मिले तो क्यों लगा मुझे ख़ुद से मुलाक़ात हो गई
कुछ भी तो कहा नहीं मगर ज़िन्दगी से बात हो गई आ ना आ
हे आ ना आ साथ बैठें ज़रा देर को
हाथ थामे रहें और
कुछ न कहें छूके देखें तो आँखों की ख़ामोशियाँ कितनी चुप-चाप होती हैं सरगोशियाँ सुनते हैं आँखों में होती है ऐसी सदा फ़िज़ा...

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